योग क्या है?

योग का अर्थ एकता या बांधना है। इस शब्द की जड़ है संस्कृत शब्द युज, जिसका मतलब है जुड़ना।

योग आत्मा से परमात्मा जोड़ने की एक कला है जिसे आज से हजारों वर्ष पहले वेदों में इसके बाद महर्षि पतंजलि के द्वारा पतंजलि योग सूत्र में माला की तरह पिरोया गया उसके बाद कई विद्वान अपनी विद्वता से लोगों को लाभान्वित करते आए हुए हैं। आज पूरे विश्व में योग के दीवाने हो गए हैं। बहुत से लोग योग को एक आसन तक सीमित समझते हैं लेकिन यह आसनों से कई दूर है जिसे हम अनुभव कर सकते हैं जब इसका हम अभ्यास करते हैं तभी हम योग के असल मीनिंग में जान सकते हैं यह एक समुद्र की तरह अथाह सागर है जिसका अनुभव आपको करके ही मिलेगा। योग केवल सिर पर खड़े हो जाना एक पैर पर खड़े हो जाना तक सीमित नहीं है उसे तो आसन कहते हैं आप जिस पोजीशन में या जिस जगह आप खड़े हैं बैठे हैं या पढ़ रहे होंगे आपका वह आसन हो गया योग का मतलब होता है कि आप मेरे यह आर्टिकल को पढ़ रहे हैं मतलब आपका योग मेरे आर्टिकल के साथ हो गया है यदि आप मूवी देख रहे हैं आपका योग मूवी के साथ हो गया है। ठीक उसी प्रकार जब हम आसन को अभ्यास करते हैं आपका आसन आपके बॉडी के साथ आपके माइंड के साथ आपके सांसो के साथ जब जुड़ जाते हैं तो इसे योग कहते हैं जुड़ना बंधन में बंध जाना योग कहते हैं।


महर्षि पतंजलि के द्वारा 8 अंग बताए गए हैं जो इस प्रकार है।

  1. यम 

  1. अहिंसा

  2. सत्य

  3. अस्तय

  4. ब्रह्मचर्य

  5. अपिग्रह 

  1. नियम 

  1. स्वच्छ

  2. संतोष

  3. तप 

  4. स्वाध्याय

  5. ईश्वर परिधान

  1. आसन 

  2. प्राणायाम 

  3. प्रत्याहार 

  4. धारणा 

  5. ध्यान 

  6. समाधि।


जो कि आज पूरे विश्व में आसन तक सीमित रह चुके हैं लेकिन जब हम एक कदम को पूरा कर लेते हैं तो दूसरे पर चले जाते हैं और यहां तक कि यम नियम को भी भूल गए हैं। केवल आसन ही ज्यादातर लोग करते हैं।

यदि आप योग करते हैं तो आपको यह सारी चीजें धीरे-धीरे आप अभ्यास करेंगे तब योग का बहुत ही आनंद आएगा।


आसन।

आसन महर्षि पतंजलि के अनुसार

 स्थिरसुखमासनम् ।। 46 ।।

शब्दार्थ :- स्थिर ( स्थिर अर्थात बिना हिले – डुले एक ही स्थिति में रहना ) सुखम् ( सुखमय अर्थात आरामदायक  स्थिति या अवस्था ) आसनम् ( आसन होता है । )

इसके लिए आपको प्रत्येक दिन अभ्यास करना पड़ेगा अभ्यास से ही आप एक किसी आसन में जड़ता बना पाएंगे। घंटे तक बैठ पाएंगे अन्यथा आप 20 मिनट बैठने के बाद आपको घुटने में दर्द पैर झनझनाहट जैसा लगने लगेगा। आप ध्यान के लिए बैठी नहीं पाएंगे इसके लिए अभ्यास बहुत जरूरी है एक कहावत बहुत ही प्रचलित है "करत करत अभ्यास के जड़मति होत सुजान रसरी आवत जात ते सिल पर परत निशान" एक मुलायम रस्सी को जब इकट्ठा करके बार-बार जल्दी कुएं से पानी निकाला जाता है तो उस पत्थर पर निशान बन जाता है ठीक उसी प्रकार आपका शरीर बहुत ज्यादा स्टीफनेस है बहुत ज्यादा कड़क है बहुत सारे बीमारी है लेकिन आप चेतन मन से ध्यानपूर्वक सजगता से यदि अभ्यास करते रहेंगे तो आप जो महर्षि पतंजलि कहते हैं कि बिना हिले दुले किसी आसन पर जब जाना आप बिल्कुल समझा पाएंगे।

जब भी आप आसन करते हैं अपने शरीर की आवाज को सुनें कितना आप झुक सकते हैं कितना आप मोड़ सकते हैं कितना आप शरीर को खिंचाव कर सकते हैं पूरे शरीर को अपने शरीर के अनुसार धीरे-धीरे उसे खिंचाव झुकाव करना है या ना सोचे कि आज हमने स्टार्ट किया और आज ही हम सिर पर खड़ा हो जाऊंगा।


बहुत लोग सोचते हैं कि जो सिरसासन कर पा रहा है जो एडवांस लेवल का योगाभ्यास कर रहा है वही योगासन कर रहा है यह गलत है आप 2 डिग्री अपने शरीर को झुका पा रहे हैं मुड़ पा रहे हैं तो आप असल में योग कर रहे हैं आप लोग को कितना अनुभव कर पा रहे हैं उदाहरण  पश्चिमोत्तानासन पैरों को सामने की ओर फैलाते हुए बैठ जाएँ,रीढ़ की हड्डी सीधी रहे,अंगुलियां तनी हुई। साँस भरते हुए दोनों हाथों को सिर के ऊपर उठाएँ और खींचे। साँस छोड़ते हुए,कूल्हों के जोड़ से आगे झुकें, ठुड्डी पंजों की ओर, रीढ़ की हड्डी को सीधा रखते हुए,घुटनो पर झुकने की बजाय अपना ध्यान पंजों की ओर बढ़ने पर केंद्रित करें। अपने हाथों को पैरों पर रखें,जहाँ भी वो पहुँचते हों,बिना अतिरिक्त प्रयास के। यदि आप अपने पंजो को पकड़कर खींच सके तो आपको आगे झुकने में मदद मिलेगी। साँस भरते हुए धीरे से सिर को उठाएँ ताकि रीढ़ की हड्डी में खीचाव पैदा हो जाए। साँस छोड़ते हुए हल्के से नाभि को घुटने की ओर ले जाएँ। प्रक्रिया को 2-3 बार दोहराएँ। सिर को नीचे झुका ले और 20-60 सेकंड तक गहरी साँस ले। हाथों को सामने की ओर फैलाएँ। साँस भरते हुए अपने हाथों की ताकत से वापस आते हुए श आराम से बैठ जाएँ। साँस छोड़ते हुए हाथों को नीचे ले आएँ।

पश्चिमोत्तानासन में जाते हैं तो बहुत सारे हमारे शरीर में खिंचाव होता है उन खींचाव को महसूस करना है जब आप उनकी खींचाव को महसूस करेंगे तो पाएंगे कि आपको एक सुखद अनुभव मिल रहा होगा। असल में तब आप लोग योग कर रहे होते हैं और इसी को जब हम बार-बार बार-बार अभ्यास करते हैं तो इसी को हम योग सिद्धि कहते हैं और आसन सिद्धि कहते हैं।


आसन करने का लाभ।

  1. शरीर एक सही एलाइनमेंट में हो जाता है।

  2. चेहरे पर चमकान आने लगता है।

  3. गुस्सा कम होने लगता है।

  4. जितने भी सारे हारमोंस हैं वह सही तरीके से काम करने लगता है।

  5. मानसिक बुद्धि का विकास होता है।

  6. अध्यात्मिक वृद्धि होती है।

  7. काम को ठीक तरीके से करने लगते हैं।

  8. मन एकाग्र होता है।

किसे नहीं करना है?

  1. यदि कोई बीमारी है तो डॉक्टर या अच्छे योग शिक्षक से सलाह ले ले उसके बाद ही करें।

  2. आसन के अभ्यास करने के बाद कम से कम 20 मिनट आराम करें उसके बाद ही पानी या स्नान करें।

  3. खाने खाने के बाद तुरंत आसन के अभ्यास ना करें।

  4. कुछ दिन पहले या 3 महीना के अंदर यदि कोई ऑपरेशन हुआ है तो आप आसन के अभ्यास बिल्कुल ही ना करें।

  5. सुक्ष्म अभ्यास कर सकते हैं।

  6. बहुत जल्दी बाजी में कोई भी आसन को ना करें अनुभव आराम से धीरे धीरे करें।



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